Sarvjeet Kumar Singh
ज़रुरत है इन्हें
ईंट नहीं चद्दर से झोंपड़ो की, ज़रुरत है इन्हें ।
उम्मीद के एक किरण की, ज़रुरत है इन्हें ।
मंदिरों की पेटियों में तो, हज़ारों डाल आते हो,
कुछ चंद सिक्कों की साहिब, ज़रुरत है इन्हें ।
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