ऐतबार तो कभी मुझ को

ऐतबार तो कभी मुझ को खुद पर भी न था,

पर तू मिली तो तुझ पर करने लगा माएली ।

ज़िंदगी में कभी खुद के लिए जी न सका मैं,

हर एक नज़ारे पर तेरी मैं मरने लगा माएली ।

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