शब्दों से, एहसासों से
अपनों से और अपने सपनों से
थक चुका था खेल कर ।
अकेला बैठा जब थक हार कर मैं,
तो सोचा एक बार
अपनी ज़िंदगी से खेलूं ।
मगर आज तक
वो खेल अधुरा है "सर्व" ।
क्योंकि न तो मेरे पास
ज़िंदगी से जीत जाऊं
ऐसी कोई उम्मीद है।
और मैं उससे हार जाऊं
न ऐसी कोई वजह ।
अपनों से और अपने सपनों से
थक चुका था खेल कर ।
अकेला बैठा जब थक हार कर मैं,
तो सोचा एक बार
अपनी ज़िंदगी से खेलूं ।
मगर आज तक
वो खेल अधुरा है "सर्व" ।
क्योंकि न तो मेरे पास
ज़िंदगी से जीत जाऊं
ऐसी कोई उम्मीद है।
और मैं उससे हार जाऊं
न ऐसी कोई वजह ।
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