अगर दे दे जवाब दिल मेरा
मैं पूछूँगा कुछ बातें ।
क्यों यहाँ वहां फिरता है
सबको खुद को समझाते ।
जब कोई समझ सका न तुझको
तू क्यों निकला समझाने ।
अपने अपनों की दुनिया को
अपना बनाने ।
इससे अच्छा तो होता
तू खुद को ही अपनाता ।
कम से कम तू
खुद से तो मिल जाता ।
कोशिश थी कुछ बीते हुए
लम्हें फिर से मिल जाते ।
कुछ पल और उस समय को
खुल कर जी पाते ।
वक़्त अभी भी कुछ बाकी
और अब समझ आ गयी दुनिया ।
जब मंजिल पे अकेले चलना है
फिर साथी ढूंढे क्यों तू साकी ।
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