मोहब्बत लफ्ज़ काफी है

मोहब्बत लफ्ज़ काफी है,
बताने के लिए सबको ।
लतीफों से दर कर रिश्तें
फिके पड़ नहीं सकते ।
अगर न खुश है तू मुल्जिम,
तो मैं कुछ कर नहीं सकता ।
ख्यालों में हैं गर कीचड़,
फिर वो धुल नहीं सकते ।
बड़ी ही सख्त हैं यादें
जो मैंने अब बनाई हैं ।
तुम बे-बुनियादी शब्दों से,
आहत कर नहीं सकते ।
अभी सपने बहुत से हैं,
जिन्हें कामिल भी करना है ।
हकीक़त में बिना बदले,
ये सपने जल नहीं सकते ।

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