Sarvjeet Kumar Singh
मेरी याद तेरे दर से
मेरी याद तेरे दर से, खाली ही लौट आई ।
थोड़ा वजूद उनमें अपना, भर दिया होता ।
तहे उम्र काट लेता, मैं उस एक पल में अपनी,
जिस पल में मुझको अपना, तूने कह दिया होता ।
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