उन पत्थरों को

झुकता आसमान भी है
झुकाया है कभी ?
कल्पनाओं में ।
कहती ख़ामोशियाँ भी हैं 
सुनी है कभी आवाज़ उनकी ?
फिजाओं में ।
"सर्व"
हम देखते वो हैं 
जो हम देखना चाहते हैं ।
और जिस चीज को हम नहीं देखते 
वो जान बुझ कर नहीं देखते ।
महसूस किया है, 
कभी किसी के दर्द को ?
अगर करना है तो देखो उन पत्थरों को 
जिनमें जान होती है ।

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