Sarvjeet Kumar Singh
हवाओं में कितने
हवाओं में कितने रंग बिखेरे
कलमे कितने बेरंग बिखेरे ।
कोई चुनता गया हर ओर से "सर्व"
मैंने सपने जो बेढंग बिखेरे ।
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