वक़्त की जंजीर में क़ैद शायद ही कोई बात होगी ।
जिस पर फिर से लिखी अपनी मुलाक़ात होगी ।
दूरियां तो अपनी पल दो पल में और बढ़ती जाएँगी,
पर एक दिन मेरी यादों से सजी तेरी बारात होगी ।
भूल जाना मुझको तुम कोई सपना समझ कर,
अब अफवाहों में ही तेरी कभी मुझसे बात होगी ।
मालूम नहीं मुझको कि तू मेरा कौन था,
ये शरारत भी शायद खुदा की करामात होगी ।
सुना है इस दुनिया में लोग फिर से टकराते है,
मगर अपने लिए तो सर्व ये क़यामत की बात होगी ।
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