नज़ाक़त खुदा की है इबादत खुदा की,
परवरदिगार की अलामत है दोस्ती ।
गिरी लाख नज़रों से जहान-ए-मोहब्बत,
हर एक दिल में लेकिन सलामत है दोस्ती ।
देखा है बेड़ियों में कैद कई रिश्तों को,
लेकिन हर एक शख्स की जमानत है दोस्ती ।
कोई पूछे तो कह दो बड़े प्यार से तुम,
शरारत में थोड़ी क़यामत है दोस्ती ।
"सर्व" देगा क्या मुझको इस ज़न्नत के बदले ?
जो न टूटे कभी वो अमानत है दोस्ती ।
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