Sarvjeet Kumar Singh
बे-बाक मोहब्बत में
बे-बाक मोहब्बत में,
आब-ओ-हवा आज़ाद है।
बे-इन्तेहां उल्फत,
उसकी यादों में आबाद है।
मेरी फ़िज़ा में तेरी,
एहसासें भी ईजाद है।
रब्त का तेरे आज भी,
अरमानों में इरशाद है।
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