खुशियों को मेरी,
मर्जी है तेरी,
हां या न कर ।
मेरे खुदा तू,
उसको रिहा कर ।
हर जख्मों पर
खुशियों का मरहम,
हंस के लगाकर ।
मेरे खुदा तू,
उसको रिहा कर ।
अश्कों को उसकी,
मोती बनाकर,
मेरे खुदा तू,
उसको रिहा कर ।
खुशियों को मेरी,
मर्जी है तेरी,
हां या न कर ।
मेरे खुदा पर,
उसको रिहा कर ।
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