एक गुल्लक।
नीचे से थोड़ा टूटा
उस आदमी के निजी कमरे में
रखा रहता है।
और वो आदमी,
उसके भर न जाने तक,
उसे भरता रहता है।
ये आदमी कौन है ?
मेरे देश की संसद मौन है।
(धूमिल की एक कविता 'रोटी और संसद' की एक पंक्ति से प्रेरित)
नीचे से थोड़ा टूटा
उस आदमी के निजी कमरे में
रखा रहता है।
और वो आदमी,
उसके भर न जाने तक,
उसे भरता रहता है।
ये आदमी कौन है ?
मेरे देश की संसद मौन है।
(धूमिल की एक कविता 'रोटी और संसद' की एक पंक्ति से प्रेरित)
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